प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को गांधीनगर में डिफेक्सपो 2022 का उद्घाटन किया। उन्होंने इंडिया पैविलियन में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा तैयार किया गया देशी ट्रेनर एयरक्राफ्ट एचटीटी-40 का भी अनावरण किया। इस विमान को पायलट फ्रेंडली विशेषताओं के साथ तैयार किया गया है और यह सभी अत्याधुनिक सिस्टम्स से लैस है।
प्रधानमंत्री ने मिशन डिफस्पेस को भी लॉन्च किया जिसका मकसद इंडस्ट्री और स्टार्टअप के जरिए सशस्त्र सेनाओं के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में इनोवेटिव सॉल्यूशंस विकसित करना है। उन्होंने गुजरात में डीसा एयरफील्ड का भी शिलान्यास किया। उन्होंने 101 आइटमों वाली चौथे पॉजिटिव इंडिजनाइजेशन लिस्ट (सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची) भी घोषित की।
उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि डिफेक्सपो 2022 उस ‘न्यू इंडिया’ के सामर्थ्य की तस्वीर पेश करता है जिसका संकल्प ‘अमृत काल’ में साकार हो रहा है। डिफेक्सपो के इस संस्करण के अनूठेपन को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह पहला डिफेंस एक्सपो है जिसमें सिर्फ भारतीय कंपनियां शिरकत कर रही हैं और सिर्फ भारत में बने उपकरण प्रदर्शित किए जा रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया के सामने भारत की क्षमता की मिसाल पेश कर रहे हैं। इस एक्सपो में 1300 से ज्यादा एग्जिबिटर्स हैं जिनमें भारतीय रक्षा उद्योग, कुछ भारतीय रक्षा उद्योग से जुड़े संयुक्त उद्यम, एमएसएमईज (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और सौ से ज्यादा स्टार्टअप शामिल हैं।’
प्रधानममंत्री ने कहा कि यह एक आयोजन भारत की क्षमता और इसकी संभावनाओं की झलक दिखला देता है। उन्होंने बताया कि पहली बार 400 से ज्यादा सहमतिपत्र (एमओयू) साइन किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘भारत से दुनिया की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं और मैं वैश्विक बिरादरी को आश्वस्त करता हूं कि भारत इन अपेक्षाओं को पूरा करेगा। इसलिए यह डिफेंस एक्सपो भारत में दुनिया के भरोसे का भी प्रतीक है।’
गुजरात में डीसा एयरफील्ड की अहमियत रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अग्रिम एयरफोर्स बेस से देश की सुरक्षा संरचना को मजबूती मिलेगी। भारत पाकिस्तान सीमा से डीमा की निकटता के मद्देनजर मोदी ने कहा कि भारत अब पश्चिमी सीमा की ओर से होने वाले किसी भी दुस्साहस का बेहतर जवाब देने की स्थिति में है।
मोदी ने आगे कहा, ‘सत्ता में आने के बाद हमने डीसा में एक ऑपरेशनल बेस बनाने का फैसला किया और हमारी सेना की ये अपेक्षा आज पूरी हुई। यह क्षेत्र अब देश की सुरक्षा का एक प्रभावी केंद्र बन जाएगा।’
मिशन डिफस्पेस
प्रधानमंत्री ने ‘मिशन डिफस्पेस’ का जिक्र करते हुए कहा, ‘स्पेस टेक्नॉलजी इस बात का उदाहरण है कि भविष्य में किसी मजबूत राष्ट्र के लिए सुरक्षा का क्या मतलब होगा। तीनों सेनाओं ने इस क्षेत्र की चुनौतियों की समीक्षा और पहचान की है। हमें उन्हें हल करने के लिए तेजी से काम करना होगा।’
उन्होंने आगे कहा, मिशन डिफस्पेस न केवल नवाचार (इनोवेशन) को बढ़ावा देते हुए सेनाओं को मजबूत करेगा बल्कि नए और नवाचारी (इनोवेटिव) हल भी मुहैया कराएगा। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि स्पेस टेक्नॉलजी भारत की उदार स्पेस डिप्लोमेसी की नई परिभाषाओं को आकार देते हुए नई संभावनाओं को जन्म दे रही है। उन्होंने कहा, ‘इससे कई अफ्रीकी देश और अन्य छोटे देश लाभान्वित हो रहे हैं।’
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत 60 से ज्यादा विकासशील देशों के साथ स्पेस साइंस साझा कर रहा है। उन्होंने आगे कहा, ‘साउथ एशिया सैटलाइट इसका अच्छा उदाहरण है। अगले साल तक दस आसियान देशों की भी भारत के सैटलाइट डेटा तक रियल टाइम पहुंच हो जाएगी। यहां तक कि अमेरिका और विकसित यूरोपीय देश भी हमारे सैटलाइट डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं।’
रक्षा निर्यात में आठगुना बढ़ोतरी
प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में न्यू इंडिया इंटेंट, इनोवेशन और इंप्लीमेंटेशन ( इरादा, नवचार और क्रियान्वयन) के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। आठ साल पहले तक भारत दुनिया के सबसे बड़े रक्षा आयातक देश के रूप में जाना जाता था, लेकिन न्यू इंडिया ने अपना इरादा जताया, इच्छाशक्ति दिखाई और मेक इन इंडिया आज रक्षा क्षेत्र की एक सक्सेस स्टोरी साबित हो रही है। उन्होंने आगे कहा, ‘पिछले पांच वर्षों में हमारा रक्षा निर्यात आठ गुना बढ़ गया है। हम दुनिया के 75 देशों को रक्षा सामग्रियों का निर्यात कर रहे हैं। 2021-22 में भारत से रक्षा निर्यात 1.59 डॉलर यानी 13000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। आने वाले दिनों के लिए हमने इसे 5 बिलियन डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है।’
चौथी पॉजिटिव लिस्ट
भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों पर रोशनी डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया, ‘हमारी सेनाओं ने ऐसे उपकरणों की दो सूचियों को अंतिम रूप दे दिया है जो देश के अंदर से ही खरीदे जाएंगे। ऐसे 101 आइटमों की सूची आज जारी की जा रही है। ये फैसले भी आत्मनिर्भर भारत की संभावना को दर्शाते हैं। इस लिस्ट के बाद रक्षा क्षेत्र के ऐसे उपकरणों की संख्या 411 हो जाएगी जिनकी खरीद मेक इन इंडिया के तहत ही की जाएगी।‘
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना विशाल बजट भातीय कंपनियों का आधार मजबूत करेगा और उन्हें नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि इसका सबसे ज्यादा फायदा देश के युवाओं को मिलने वाला है।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का डिफेंस सेक्टर पूरे समर्पण के साथ राष्ट्रीय गौरव के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने डिफेक्सपो 2022 में 1300 से ज्यादा एग्जिबिटर्स के अपनी नवीनतम तकनीकों के साथ शामिल होने और 80 से भी ज्यादा देशों के रक्षा मंत्रियों, सेना प्रमुखों तथा ऑफिसरों की मौजूदगी को भारत की उभरती बिजनेस संभावनाओं में वैश्विक और घरेलू कारोबारी समुदाय के बढ़े हुए आत्मविश्वास का प्रमाण बताया।
उन्होंने आगे कहा कि डिफेक्सपो के दौरान और इससे पहले भी द्विपक्षीय बैठकों में कई देशों ने भारत में बनाए जा रहे रक्षा साजो-सामान और यहां विकसित हो रही तकनीकों में दिलचस्पी दिखाई है जो रक्षा क्षेत्र के विकास का संकेत है।
उद्घाटन सत्र के बाद राजनाथ सिंह ने आईओआर+ रक्षा मंत्रियों के कॉन्क्लेव की मेजबानी की। 40 देशों की उपस्थिति वाले इस कॉन्क्लेव को 22 मंत्रियों ने संबोधित किया। मोटे तौर पर इसका थीम था, ‘हिंद महासागर में चुनौतियां, अवसर और सहयोग’।
रवि शंकर