‘मेक इन इंडिया’ डिफेंस प्रोग्राम और देशी उड्डयन में उत्पादन को बढ़ावा देते हुए सरकार ने 27 अक्टूबर को एलान किया कि गुजरात में भारतीय वायुसेना के लिए ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट प्लांट लगाया जाएगा। शुरू में एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एसए, स्पेन से खरीदे जा रहे 56 सी-295 एमडब्लू ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट में से 40 विमान वड़ोदरा के नए प्लांट में बनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अक्टूबर को वड़ोदरा में भारतीय वायुसेना के लिए ट्रांसपोर्ट एय़रक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट का शिलान्यास करेंगे। उस अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल भी मौजूद रहेंगे।
गौरतलब है कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी ने 8 सितंबर 2021 को एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एसए, स्पेन से 56 सी-295 एम डब्लू ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट खरीदी को मंजूरी दी थी। 24 सितंबर 2021 को रक्षा मंत्रालय ने संबंधित उपकरणों समेत विमान लेने का समझौता किया।
रक्षा सचिव अजय कुमार ने प्रेस कॉन्फेंस को संबोधित करते हुए बताया कि समझौते के मुताबिक 16 विमान उड़ान के लिए तैयार स्थिति में दिए जाएंगे और 40 विमान भारतीय एयरक्राफ्ट कॉंन्ट्रैक्टर टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड (टीएएसएल) औऱ टाटा कन्सल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के टाटा कन्सॉर्शियम द्वारा भारत में बनाए जाएंगे।
कुमार ने बताया, ‘पहले 16 विमानों की खेप सितंबर 2023 से अगस्त 2025 के बीच मिलने वाली है। पहला मेड इन इंडिया विमान सितंबर 2026 तक आने की उम्मीद है।’
ये विमान 40-50 पैराट्रुपर्स या 70 यात्रियों के साथ एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड्स से लेकर अधबने रनवे तक पर ऑपरेट कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘यह पहला मौका है जब सी-295 विमान यूरोप से बाहर बन रहे हैं। स्वदेशी एरोस्पेस सेक्टर के लिए यह बेहद अहम है।’ यह पहला प्रोजेक्ट इस मायने में भी है कि पहली बार कोई प्राइवेट कंपनी भारत में सेना के लिए विमान का निर्माण करेगी। प्रोजेक्ट का कुल अनुमानित खर्च है 21,935 करोड़ रुपये। विमानों का इस्तेमाल असैन्य कार्यों में भी किया जा सकेगा।
सी-295 एमडब्लू 5-10 टन क्षमता वाला समकालीन तकनीकों से युक्त ऐसा ट्रांसपोर्ट विमान है जो भारतीय वायुसेना के एव्रो एयरक्राफ्ट की जगह लेगा। तत्काल प्रतिक्रिया देने और सैनिकों या कार्गो की पैरा ड्रॉपिंग करने के लिए इसमें पीछे की तरफ दरवाजे होते हैं। इसकी खासियतों में शॉर्ट टेकऑफ करना और अधबनी सतहों पर लैंडिंग करना भी शामिल है। यह विमान भारतीय वायुसेना की लॉजिस्टिक क्षमता में मजबूती लाएगी।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि इन सभी 56 विमानों में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनामिक्स लिमिटेड के स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट लगे होंगे। बयान के मुताबिक भारतीय वायुसेना को 56 विमानों की डिलीवरी पूरी हो जाने के बाद एयरबस डिफेंस एंड स्पेस को भारत में बनने वाले विमान सिविल ऑपरेटर्स को बेचने तथा भारत सरकार द्वारा क्लियर किए गए देशों को निर्यात करने की इजाजत होगी।
मंत्रालय ने कहा कि यह प्रोजेक्ट भारत के प्राइवेट सेक्टर के लिए कॉम्पिटिटिव और टेक्नॉलजी इंटेंसिव एविएशन इंडस्ट्री में प्रवेश करने का अच्छा अवसर है। इससे घरेलू एविएशन उत्पादन बढ़ेगा जिससे आयात पर निर्भरता तो कम होगी ही, निर्यात में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। यही नहीं, एयरबस प्रति विमान मानव श्रम के जो घंटे स्पेन की अपनी फैक्ट्री में लगाती है, उसका 96 फीसदी टाटा कंसर्शियम द्वारा भारत में लगाया जाएगा।
टाटा कंसर्शियम ने देश के अंदर सात राज्यों में 125 एमएसएमई सप्लायर्स चिह्नित किए हैं। इससे देश के एरोस्पेस इकोसिस्टम में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। माना जा रहा है कि इससे 600 हाइली स्किल्ड जॉब तो प्रत्यक्ष रूप से बनेंगे। इसके अलावा 3000 से ज्यादा अप्रत्यक्ष जॉब मिलेंगे। साथ ही भारत के एरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर के अंतर्गत 42.4 लाख से ऊपर काम के घंटों से युक्त 3000 मीडियम स्किल वाले रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। एयरबस की स्पेन स्थित फैक्ट्री में करीब 240 इंजीनियरों को ट्रेनिंग दी जाएगी।
टीम भारतशक्ति