देश के अंदर निर्माण क्षमता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के सवाल पर भारत सरकार के साथ पूरी तरह तालमेल बनाए रखते हुए चल रही है।
नब्बे वें एयरफोर्स सेलिब्रेशन डे (8 अक्टूबर) से पहले नई दिल्ली में सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों से हम देसीकरण को आगे बढ़ा रहे हैं। हम 62,000 अवयव भारतीय उद्योग जगत से मंगवाते हैं और अभी तक कभी इनकी कमी नहीं पड़ी है, न ही कभी सप्लाई में बाधा आई है। अगले कुछ वर्षों में हम एलसीए एमके 1ए, एचटीटी-40 ट्रेनर्स, देसी हथियार और विभिन्न रडार लेने की उम्मीद कर रहे हैं। सोमवार को ही वायुसेना में एलसीएच को शामिल किया गया है और मुझे यकीन है कि ये हेलिकॉप्टर आईएएफ की आक्रमण क्षमता को और धार देंगे। हम एलसीए एमके-2 और एएमसीए के विकास को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। सी-295 एयरक्राफ्ट को शामिल किया जाना सही दिशा में उठाया गया कदम है और इससे भारतीय एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को ताकत मिलेगी”।
इंडियन एयर फोर्स को एयरोस्पेस फोर्स में रूपांतरित करने की परिकल्पना पर रोशनी डालते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा, “हम स्पेस को वायु माध्यम के स्वाभाविक विस्तार के रूप में देखते हैं और राष्ट्रहित में इस क्षेत्र का इस्तेमाल करने की जरूरत को समझते हैं। स्पेस-बेस्ड असेट्स वायु शक्ति की प्रबलता में अच्छी खासी बढ़ोतरी कर देते हैं। इसलिए हमारी रणनीति अपनी एयर और स्पेस क्षमता को पूरी तरह एकीकृत करने की है ताकि एयरोस्पेस मीडियम की पूरी तस्वीर मिल जाए और हम अधिकाधिक शक्ति के इस्तेमाल में समर्थ हों”।
थिएट्रिकल कमांडः आईएएफ के सैद्धांतिक पहलुओं पर कोई समझौता न हो
एयर चीफ मार्शल (एसीएम) वी आर चौधरी ने स्पष्ट किया कि भारतीय वायुसेना तीनों सेनाओं की थिएटराइजेशन योजना के खिलाफ नहीं है लेकिन कहा कि प्रस्तावित संरचना की वजह से इसके सैद्धांतिक पहलुओं (डॉक्ट्रिनल आस्पेक्ट्स) पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि भारतीय वायुसेना ने अपने सिद्धांतों की प्रासंगिकता बरकरार रखने के लिए हाल ही में इन्हें संशोधित और नवीनीकृत किया है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि कोई भी एक सेना अकेले अपने दम पर युद्ध नहीं जीत सकती और बताया कि तीनों सेनाओं की प्रस्तावित एकीकरण प्रक्रिया के कुछ पहलुओं को लेकर वायुसेना में कुछ आशंकाएं हैं। फिर भी उसने तीनों सेनाओं में तालमेल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार की गई इस योजना का मोटे तौर पर समर्थन किया है।
एसीएम चौधरी ने कहा, “वायु सेना में यह अनूठी क्षमता है कि वह स्वतंत्र सामरिक ऑपरेशंस को अंजाम दे सकती है औऱ अन्य सेनाओं तथा राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के दूसरे हिस्सों के साथ तालमेल से तैयार ऑपरेशंस भी चला सकती है। हम भविष्य के युद्धों में संयुक्त योजना और क्रियान्वयन की अनिवार्यता को समझते हैं और तीनों सेनाओं को एकीकृत करने के प्रयासों को लेकर उत्सुक हैं। हमारा मानना है कि एकीकरण का जो मॉडल अपनाया जाए वह फ्यूचर-रेडी होना चाहिए, उससे निर्णय निर्माण के स्तरों में कमी आनी चाहिए और उसमें तीनों सेनाओं की शक्ति का समुचित इस्तेमाल होना चाहिए। हमें ऐसा ऑर्गनाइजेशनल स्ट्रक्चर (संगठनात्मक संरचना) चाहिए जो भारतीय परिस्थितियों औऱ हमारी भू-राजनीतिक अनिवार्यताओं के बिलकुल अनुरूप हो”।
जनरल अनिल चौहान के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अपेक्षा की जा रही है कि तीनों सेनाओं के थिएटराइजेशन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। लेकिन जरूरी है कि वायुसेना की आशंकाओं को गंभीरता से लिया जाए।
आईएएफ की क्षमता 2035-36 तक बढ़कर 35 स्क्वाड्रन हो जाएगी
एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, यह सही है कि सेना फाइटर्स की क्वॉलिटी और टेक्नॉलजी पर खास ध्यान दे रही है, लेकिन फिर भी संख्या मायने रखती है। उन्होंने साफ किया कि भले ही फाइटर स्क्वाड्रन की मौजूदा संख्या घटकर 30 हो गई हो, 42 फाइटर स्क्वाड्रन की मंजूर क्षमता पर पुनर्विचार करने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
उन्होंने बताया कि आईएएफ 83 एलसीए तेजस एमके 1ए का ऑर्डर पहले ही दे चुकी है और तेजस एमके2 तथा देश में बने फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए भी ऑर्डर देने की सोच रही है। ये दोनों ही अभी डिजाइन फेज में हैं। उन्होंने कहा कि आईएएफ 114 मीडियम रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) को लेकर भी गंभीर है। उसके लिए अभी टेक्निकल जरूरतों को अंतिम रूप दिया जा रहा है जिसके बाद रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला और कोई अतिरिक्त बाधा नहीं आई तो 2035-36 तक आईएएफ 35 स्क्वाड्रन क्षमता तक पहुंच जाएगी।
टीम भारतशक्ति