भारतीय सेना की सामरिक क्षमता बढ़ाने के लिए उसे कई तरह के स्वदेश में निर्मित हथियार दिए गए हैं। पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन के साथ लंबे समय से जारी तनाव के मद्देनजर सेना की ऑपरेशनल प्रिपेयर्डनेस (परिचालन संबंधी तैयारियां) बढ़ाने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 16 अगस्त को ये हथियार उसे सौंपे।
सेना को सौंपे गए मुख्य हथियारों में हैं सर्वेलांस हार्डवेयर (निगरानी उपकरण) असॉल्ट पेट्रोलिंग बोट्स, ‘फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर एज ए सिस्टम’, क्विक रिएक्शन फाइटिंग वीइकिल (त्वरित लड़ाकू वाहन), ऑटोमेटिक कम्युनिकेशन सिस्टम (स्वचालित संवाद प्रणाली), टैंकों के लिए अपग्रेडेड साइट सिस्टम (निरीक्षण प्रणाली), एडवांस्ड थर्मल इमेजर्स और नई एंटी पर्सोनेल माइन ‘निपुण’। सेना को मुहैया कराई जाने वाली करीब 7 लाख माइंस भारतीय निजी क्षेत्र द्वारा उत्पादित होंगी।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि ये उपकरण/प्रणालियां डिफेंस पीएसयू (रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उद्यम), डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) और इंडस्ट्री द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सशस्त्र सेनाओं को आधुनिक बनाने के सपने के अनुरूप संयुक्त रूप से विकसित की गई हैं।
पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग त्सो झील पर कड़ी नजर रखने के लिए नई बोट्स- लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (एलसीए) तैनात की जा रही है जो एडवांस्ड सर्वेलांस गैजट्स और अन्य उपकरणों से लैस हैं। पिछले साल सेना ने मौजूदा जहाजी क्षमता बढ़ाने के लिए 12 एलसीए बोट्स का ऑर्डर किया था। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि ‘एलसीए बहुउपयोगी है और इसने लॉन्च, स्पीड तथा क्षमता से संबंधित कमियों को पूरा कर दिया है। इसने पूर्वी लद्दाख में जलीय बाधाओं पर काबू पाते हुए ऑपरेट करने की क्षमता बढ़ा दी है।’ इसके मुताबिक इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मॉबिलिटी वीइकल्स और असॉल्ट बोट्स बॉर्डर पर तैनात टुकड़ियों को किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने में समर्थ बनाते हैं।
मंत्रालय ने बताया कि ये वाहन उत्तरी सीमाओं पर बड़ी संख्या में तैनात सैनिकों को ज्यादा गतिशीलता और सुरक्षा प्रदान करेंगे और क्विक रिएक्शन फाइटिंग वीइकल्स पूर्वी लद्दाख की टुकड़ियों की गतिशीलता बढ़ाएंगे।
अपने भाषण में राजनाथ सिंह ने विश्वास जताया कि ये उपकरण और प्रणालियां भारतीय सेना की तैयारी औऱ कुशलता में इजाफा करेंगी। ‘यह प्राइवेट सेक्टर और अन्य संस्थाओं के साथ साझेदारी में देश की बढ़ती आत्मनिर्भरता का चमकता उदाहरण है।’
सिंह ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं की इन्फ्रास्ट्रक्चर (आधारभूत संरचना) से जुड़ी जरूरतें निरंतर बदलते समय के साथ बढ़ती जा रही हैं और इसलिए उत्कृष्टता के लिए हमेशा कोशिश करते रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सशस्त्र सेनाओं को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने में मदद करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास का काम आधुनिकतम तकनीक के अनुरूप किया जाना चाहिए।
भारतीय सेना को सौंपे गए हथियारों के विवरण इस प्रकार हैः
एफ-इनसास सिस्टमः फ्यूचर इनफैंट्री सोल्जर एज ए सिस्टम
भारतीय सेना का जवान तीन प्राइमरी सब सिस्टम से लैस होगा। पहला सब सिस्टम है दिन रात होलोग्राफिक रिफ्लेक्स साइट से युक्त आधुनिक स्टेट ऑफ आर्ट असॉल्ट राइफल। साइट्स हथियार पर तो आते ही हैं, हेलमेट पर भी आते हैं ताकि ऑपरेशनल कंडीशन में 360 डिग्री विजिबिलिटी और सटीकता मिले। प्राइमरी वेपन सिस्टम के अलावा सैनिकों को मल्टीपरपज चाकू के साथ मल्टीमोड हैंडग्रेनेड भी मिलेगा।
दूसरा सब सिस्टम है प्रोटेक्शन सिस्टम। यह खास तौर पर बनाए गए हेलमेट और एक बुलेट प्रूफ जैकेट के जरिए हिफाजत करता है। तीसरे सब सिस्टम में आता है कम्युनिकेशन (संवाद) और सर्वेलांस (निगरानी) सिस्टम। इस एफ-इनसास सिस्टम को आगे और अपग्रेड करके इसमें रीयल टाइम डेटा कनेक्टिविटी की सुविधा भी जोड़ी जा सकती है।
एंटी पर्सोनेल माइन ‘निपुण’
पिछले काफी समय से भारतीय सेना एनएमएम 14 माइंस का इस्तेमाल कर रही थी। आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (एआरडीई) पुणे और इंडस्ट्री के प्रयासों से अब निपुण नाम की एक नई इंडियन माइन विकसित की गई है। इससे सीमा पर तैनात सैनिकों की बेहतर हिफाजत हो सकेगी। यह मौजूदा एंटी पर्सोनेल माइन के मुकाबले ज्यादा सक्षम और प्रभावी है।
हैंड हेल्ड थर्मल इमेजर (अनकूल्ड)
यह उपकरण सर्वेलांस और डिटेक्शन (निगरानी और अनुसंधान) के लिए है। इससे दिन ही नहीं रात में भी देखा जा सकता है और प्रतिकूल मौसम में भी दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।
कमांडर थर्मल इमेजिंग साइट फॉर टी-90 टैंक
यह उपकरण बख्तरबंद टुकड़ियों की विजिबिलिटी का रेंज बढ़ाता है। पहले टी-90 टैंक के पास इमेज इंटेंसिफिकेशन सिस्टम हुआ करता था जिसकी अपनी सीमाएं और कमियां थीं। इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड द्वारा उत्पादित थर्मल इमेजिंग साइट के इस्तेमाल से ये कमियां दूर हो गईं।
डाउनलिंक इक्विपमेंट विद रिकॉर्डिंग फैसिलिटी
यह डाउनलिंक उपकरण सीमा क्षेत्रों और अन्य ऑपरेशनल इलकों की निरंतर टोह लेने और निगरानी करने में हेलिकॉप्टरों की मदद करता है। मिशन के दौरान टोह लेते हुए सारा डेटा सिस्टम में रेकॉर्ड होता रहता है। ये तभी देखा जा सकता है जब हेलिकॉप्टर बेस पर लौट आए। एक्सिकॉम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा स्वदेश में निर्मित यह उपकरण एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर के लिए सर्वथा उपयुक्त है।
सेमी रगिडाइज्ड ऑटोमेटिक एक्सचेंज सिस्टम एमके- II
भारतीय सेना के पास एक्सचेंज हैं जो ऑपरेशंस में तैनात युनिटों के बीच कम्युनिकेशन लाइन मुहैया कराते हैं। लेकिन सब्सक्राइबर्स की संख्या औऱ डेटा की मात्रा की सीमाएं होती हैं। इसके अलावा, ये उपकरण नवीनतम इंटरनेट प्रोटोकॉल टेक्नॉलजी के साथ भी काम नहीं कर सकते। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, कोटद्वार द्वारा एक नया सिस्टम विकसित किया गया है जो पुराने सिस्टम की सारी कमियां दूर कर देता है।
अपग्रेडेड रेडियो रिले (फ्रिक्वेंसी हॉपिंग)
चुनौतीपूर्ण अग्रिम इलाकों में जहां संवाद का कोई साधन उपलब्ध नहीं होता, भारतीय सेना को अपना कम्युनिकेशन सिस्टम ही वहां तक ले जाना होता है। इस रेडियो रिले सिस्टम से अग्रिम टुकड़ियां अपने संवाद यंत्र और रेडियो सेट कहीं ज्यादा बड़े रेंज में ऑपरेट कर सकती हैं। यह फ्रिक्वेंसी हॉपिंग टेक्नॉलजी से युक्त उच्च क्षमता वाला एडवांस्ड सिस्टम है जो भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया है।
फोटो वोल्टाइक एनर्जी प्रॉजेक्ट
सियाचिन ग्लैशियर देश के सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र तथा ऑपरेशनल सेक्टर्स में आता है। विभिन्न उपकरणों को चलाने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करने का एकमात्र स्रोत है कैप्टिव जेनरेटर सप्लाई। यहां ऊर्जा जरूरतों की स्थिति सुधारने और जीवाश्म ईंधनों (पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों) पर निर्भरता कम करने के लिए एक सोलर फोटो वोल्टाइक प्लांट लगाया गया है। परतापुर स्थित यह प्लांट रक्षा मंत्री ने वर्चुअली देश को समर्पित किया।
लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (एलसीए)
हालांकि पैंगोंग त्सो झील में नावें चलती हैं लेकिन उनकी क्षमता काफी सीमित है। एलसीए कहीं ज्यादा बहु उपयोगी है औऱ लॉन्च, स्पीड तथा कपैसिटी संबंधी कमियां दूर करता है। इसने पूर्वी लद्दाख में जलीय बाधाओं पर काबू पाते हुए ऑपरेट करने की क्षमता बढ़ा दी है। एलसीए अक्वारियस शिपयार्ड लिमिटेड, गोवा द्वारा स्वदेश में विकसित किया गया है।
मिनी रिमोटली पायलटेड एयरियल सिस्टम (आरपीएएस)
आरपीएएस भारतीय वायु सेना के विमानों और हेरन अनमैन्ड एयरियल वीइकल्स (मानवरहित हवाई वाहनों) को टैक्टिकल लेवल पर हो रही ऑपरेशनल दिक्कतों को दूर करता है। यह इन्फैंट्री डिविजन और मैकेनाइज्ड युनिट्स के लेवल पर टोह लेने, निगरानी रखने और पहचान करने की सीमित क्षमता संबंधी परेशानी हल कर भारतीय सेना को सशक्त बनाता है।
इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मॉबिलिटी वीइकल (आईपीएमवी)
आईपीएमवी उत्तरी सीमाओं पर बड़ी संख्या में तैनात सैनिकों को बेहतर सुरक्षा और गतिशीलता प्रदान करता है। यह टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया है।
क्विक रिएक्शन फाइटिंग वीइकल (मीडियम)
पूर्वी लद्दाख की हमारी टुकड़ियों की गतिशीलता बढ़ाने के लिए इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मॉबिलिटी वीइकल के अलावा जो दूसरा वाहन दिया गया है वह है क्विक रिएक्शन फाइटिंग वीइकल (मीडियम)। यह टुकड़ियों की त्वरित तैनाती आसान बनाता है और कहीं ज्यादा तेजी से प्रतिक्रिया देना संभव बनाएगा। ये वाहन टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड से लिए गए हैं। ये उच्च गतिशीलता, ज्यादा मारक शक्ति और अधिक सुरक्षा देने वाले टेलर मेड वाहन हैं। इनसे उत्तरी सीमाओं पर नैतिक प्रभाव बनाने में आसानी होगी।
टीम भारतशक्ति