संपादक की टिप्पणी
बांग्लादेश भारत का एक बेहद अहम पड़ोसी है। बांग्लादेश की मुक्ति और भारत की इसमें भूमिका दोनों देशों के रिश्तों में गर्भनाल का काम करती है। आज नॉर्थ ब्लॉक की दो सबसे बड़ी चिंताएं हैं बांग्ला समाज में बढ़ती कट्टरता और बांग्ला अर्थव्यवस्था में बढ़ती चीनी घुसपैठ, खासकर सामरिक क्षेत्र में।
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चार दिनों की भारत यात्रा पर आईं शेख हसीना ने राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘भारत हमारा मित्र है। जब भी मैं भारत आती हूं, मुझे बहुत अच्छा लगता है, खासकर इसलिए कि हमें याद आता है हमारे मुक्ति युद्ध में भारत ने कितना योगदान किया था। हमारे दोस्ताना रिश्ते हैं। हम एक दूसरे से सहयोग कर रहे हैं।’ व्यक्तिगत तौर पर शेख हसीना के लिए भारत खास जगह रखता है। पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें दिल्ली में आश्रय दिया था। उनका परिवार एक अलग पहचान के साथ पंडारा रोड पर रहता था।
उनकी मौजूदा यात्रा का मकसद भारत-बांग्लादेश संबंधों को मजबूती देना है। बांग्लादेश में अगले चुनावों से पहले यह संभवतः उनकी आखिरी यात्रा है। चुनाव 2023 में होने वाले हैं और भारत के लिए सबसे अच्छी बात यही होगी कि शेख हसीना वहां बनी रहें।
प्रधानमंत्री के साथ उनकी बैठक के बाद सात समझौतों पर दस्तखत हुए जो विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर केंद्रित हैं। दोनों नेताओं ने भारत की रियायती वित्तीय योजना के तहत बांग्लादेश के रामपुर में बनाए गए मैत्री सुपर थर्मल थर्मल पावर प्रोजेक्ट का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। वर्तमान में भारत बांग्लादेशी उत्पादों के लिए सबसे बड़ा बाजार है।
दोनों देश व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के लिए बातचीत शुरू करने वाले हैं जिससे व्यापार बढ़ेगा और बांग्लादेश को फायदा होगा। एक समझौता कुश्यारी नदी के पानी के बंटवारे का किया गया जो असम के सिल्चर जिले से बांग्लादेश में प्रवेश करती है। भारत ने बांग्लादेश को रक्षा खरीद के लिए 50 करोड़ डॉलर मुहैया कराए। इस खरीद योजना के तहत बांग्लादेश शुरू में ब्रिज लेइंग टैंक्स, बेली ब्रिज और माइन प्रोटेक्टेड वीइकिल खरीदेगा। बांग्लादेश ने भविष्य की रक्षा खरीद को लेकर भी अपनी विश लिस्ट दी है जिनमें हेवी रिकवरी वीइकिल्स, आर्मर्ड इंजीनियर रिकान्संस वीइकिल्स, फ्लोटिंग डॉक और लॉजिस्टिक्स शिप शामिल हैं। भारत चाहता है, बांग्लादेश की चीन पर निर्भरता कम हो जहां से यह ज्यादातर रक्षा खरीद करता है।
दोनों देशों के बीच तीस्ता नदी जल बंटवारे पर बात आगे नहीं बढ़ पा रही है। इसके अटकने की मुख्य वजह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। अगले साल चुनावों से पहले अगर यह मसला सुलझ जाता है तो शेख हसीना के चुनाव अभियान को काफी मजबूती मिल सकती है। तीस्ता जल बंटवारे का विषय बांग्लादेशी प्रधानमंत्री अपने हर दौरे में उठाती हैं।
खुलना-दर्शन लाइन और परबतपुर-कौनिया ट्रैक शुरू किए जाने को लेकर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने रुपशा रेलवे पुल का भी उद्घाटन किया। ये सब खुलना-मेंगला पोर्ट ब्रॉडगेज रेल प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा हैं। ये बांग्लादेश के जरिए भारत के नॉर्थईस्ट को जोड़ेंगे और इस तरह सिलिगुड़ी कॉरिडोर का विकल्प पेश करेंगे। ये भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों से होने वाले निर्यात के लिए मोंगा और चिटगांव पोर्ट को भी खोलेंगे।
कुछ समय पहले दोनों देशों के रिश्तों में तब रुकावट आ गई थी जब भारत ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) और सिटिजेंस अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) की घोषणा की थी। बांग्लादेश ने अपने मंत्रियों का दौरा रद्द कर दिया था और शेख हसीना ने भी इन घोषणाओं को अनावश्यक करार दिया था। तब आशंकाएं दूर करने के लिए तत्कालीन विदेश सचिव हर्ष शृंगला (जो बांग्लादेश में भारत के राजदूत रह चुके थे) ने दो बार बांग्लादेश का दौरा किया था। लेकिन कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत-बांग्लादेश संबंध कामयाबी की ही कहानी है।
भारत और चीन दोनों बांग्लादेश में एक-दूसरे के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित रहते हैं। चीन की इस मामले में चिंता इतनी गहरी है कि ढाका में उसके राजदूत ली जिमिंग ने बांग्लादेश को क्वाड में शामिल होने को लेकर चेतावनी दे दी। बांग्लादेश को 5 लाख कोविड टीकों का तोहफा देने के बाद डिप्लोमैटिक करेस्पॉन्डेंट्स असोसिएशन के सदस्यों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्लब (क्वाड प्लस) में शामिल होने से चीन-बांग्लादेश संबंध प्रभावित हो सकते हैं। बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमेन ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए इन टिप्पणियों को ‘आक्रामक’ और ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया था।
अगर बांग्लादेश क्वाड प्लस में शामिल हो जाता है तो दक्षिण एशिया को अपने नियंत्रण में लाने का चीनी सपना बिखर सकता है। बांग्लादेश को चीन बेल्ट रोड इनीशिएटिव में अपना अहम साझेदार मानता है। कई चीनी कंपनियां बांग्लादेश में इस प्रोजेक्ट में शामिल हैं। बांग्लादेश इन दिनों अपने यहां चीनी कंपनियों के भ्रष्टाचार और टैक्स धोखाधड़ी मामलों की जांच भी कर रहा है। भारत के लिए चीन के बढ़ते दबदबे का मतलब पाकिस्तानी प्रभाव का बढ़ना भी है।
अब तक बांग्लादेश ने भारत, अमेरिका, जापान और चीन के साथ अपने संबंधों का संतुलन बनाए रखा है। वह मुख्यतः इन सभी शक्तियों से अपने विकास में अधिकाधिक सहयोग लेते हुए आगे बढ़ रहा है। अपने दौरे से पहले बांग्लादेश-चीन रिश्ते पर बात करते हुए शेख हसीना ने कहा, ‘हमारी विदेश नीति बिलकुल स्पष्ट है- दोस्ती सबके साथ, दुर्भावना किसी के लिए नहीं। अगर कोई समस्या है तो चीन और भारत के बीच है। मैं वहां अपनी नाक नहीं घुसेड़ना चाहती।’ प्रधानमंत्री मोदी ने जब दोनों देशों से आपसी विश्वास को खत्म करने और इसे नुकसान पहुंचाने के प्रयासों को नाकाम करने का आह्वान किया तो उनका इशारा बांग्लादेश पर चीनी प्रभाव की ओर ही था।
शेख हसीना से बातचीत में पीएम मोदी ने आतंकवाद और कट्टरता से मुकाबले के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया। बांग्लादेशी समाज में बढ़ती कट्टरता जहां इसके हिंदू अल्पसंख्यकों को प्रभावित करती है वहीं भारत के लिए सुरक्षा संबंधी खतरों में भी इजाफा करती है। शेख हसीना ने बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का संकल्प जताया। पाक-समर्थक तत्व शेख हसीना की पार्टी समेत उदार बांग्लादेशियों पर इस्लाम विरोधी होने का आरोप लगाते हैं जो भारत के लिए चिंताजनक है।
हाल में नूपुर शर्मा प्रकरण को लेकर और पिछले साल मार्च में पीएम मोदी के दौरे के समय हुए भारत विरोधी प्रदर्शनों की अगुआई इन्हीं तत्वों ने की थी। इन तत्वों का असल मकसद बांग्लादेश को एक इस्लामी देश बनाना है। जब तक दोनों देश आपस में पूरा सहयोग नहीं करते, इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता। अकेला बांग्लादेश अधिक से अधिक यही कर सकता है कि हालात को बेकाबू न होने दे। इसी बीच बांग्लादेश ने अपनी जमीन पर सक्रिय भारत विरोधी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए भारत की कुछ चिंताओं को दूर भी किया है।
भारत-बांग्लादेश रिश्तों को प्रभावित करने वाला एक और पहलू है यहां से लोगों का भारत आना। बीएसएफ तस्करों के साथ ही उन लोगों पर भी फायरिंग करती है जो सीमा पार कर रहे होते हैं। नतीजतन, मौतें होती हैं जिससे बांग्लादेश को परेशानी होती है। हालांकि ऐसी घटनाओं में कमी आई है, लेकिन ये बंद नहीं हो सकी हैं क्योंकि बॉर्डर के कई हिस्सों से लोगों का आना जारी है।
रोहिंग्या शरणार्थी भी दोनों देशों के बीच एक कांटा हैं। बांग्लादेश में अभी 11 लाख शरणार्थी हैं। भारत उनकी देखभाल के लिए फंड जरूर देता है लेकिन उससे ज्यादा कुछ करने में हिचकता है जबकि म्यांमार पर इसका कुछ प्रभाव भी है। इस वजह से बांग्लादेश चीन की मदद लेने को मजबूर है। यही नहीं, भारत अपने यहां के रोहिंग्या शरणार्थियों को भी फिर से बांग्लादेश भेजने की कोशिश कर रहा है क्योंकि उसी रास्ते वे आए थे। शेख हसीना ने उम्मीद जताई कि भारत अपने यहां रह रहे कुछ रोहिंग्याओं को स्वीकार कर लेगा, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है।
शेख हसीना के सत्ता में रहते हुए भारत-बांग्लादेश रिश्ते आगे बढ़े हैं। फिर भी, दो चीजें भारत की चिंता का कारण बनी हुई हैं- एक तो चीन का बढ़ता हुआ कर्ज और दूसरे समाज में बढ़ती कट्टरता। वर्तमान में शेख हसीना ने इस्लामवादियों से तो दूरी बना ही रखी है भारत-बांग्लादेश और भारत-चीन रिश्तों को भी संभालते हुए चल रही हैं। ढाका में वही भारत के लिए सबसे अच्छा दांव हैं।
मेजर जनरल हर्षा ककड़ (रिटायर्ड)