आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय सेना ने ड्रोन किल सिस्टम और इन्फैंट्री ट्रेनिंग वेपन सिम्युलेटर सहित पांच मेक-2 प्रॉजेक्ट्स से जुड़े प्रॉजेक्ट सैंक्शन ऑर्डर्स (पीएसओ) को मंजूरी दे दी है। मेक-2 प्रॉजेक्ट्स की फंडिंग इंडस्ट्री करती है। इसमें प्रोटोटाइप विकास के लिए भारतीय विक्रेताओं द्वारा डिजाइन और डेवलप किए गए इनोवेटिव सॉल्यूशंस शामिल हैं। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में दी गई।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सेना स्वदेशी विकास के जरिए आधुनिक तकनीक लाने वाले प्रमुख कारकों के रूप में मेक प्रॉजेक्ट्स को आगे बढ़ा रही है। इसी क्रम में अब सेना ने इन पांच मेक-2 प्रॉजेक्ट्स के पीएसओ को मंजूरी दी है। बयान के मुताबिक ऑर्डर प्रोटोटाइप के सफल विकास के बाद दिया जाता है।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि जिन परियोजनाओं के पीएसओ मंजूर किए गए हैं उनमें हाई-फ्रिक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो, ड्रोन किल सिस्टम, इन्फैंट्री ट्रेनिंग वेपन सिम्युलेटर (आईडब्लूटीएस), 155 एमएम टर्मिनली गाइडेड म्युनिशन (टीजीएम) और मीडियम रेंज प्रिसीशन किल सिस्टम शामिल हैं। इन प्रॉजेक्ट्स का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार हैः
हाइ-फ्रिक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एचएफएसडीआर)
मेक-2 स्कीम के तहत हाइ-फ्रिक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एचएफएसडीआर) का प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए 14 डेवलपिंग एजेंसीज (डीए) को पीएसओ जारी किए गए हैं। प्रोटोटाइप के सफल विकास के बाद भारतीय सेना द्वारा 300 एचएफएसडीआर खरीदे जाने की योजना है। इससे मैप-बेस्ड नैविगेशन से युक्त ब्लूफोर्स ट्रैकिंग शुरू की जा सकेगी और इस प्रकार हालात को लेकर सेना की रियल टाइम जानकारी बढ़ेगी। ये रेडियो सेट मौजूदा एचएफ रेडियो की जगह लेंगे जिसकी टेक्नॉलजी पुरानी पड़ गई है और डेटा संभालने की क्षमता काफी कम है।
ड्रोन किल सिस्टम
स्वदेशी एंटी-ड्रोन इकोसिस्टम को और प्रोत्साहित करने के प्रयासों के तौर पर भारतीय सेना ने मेक-2 स्कीम के तहत सफल प्रोटोटाइप विकास के बाद 35 सेट ड्रोन किल सिस्टम खरीदने के लिए 18 डेवलपिंग एजेंसियों के 18 पीएसओ स्वीकृत किए हैं। बयान के मुताबिक यह प्रोजेक्ट एमएसएमईज/स्टार्ट-अप्स के लिए रिजर्व है। ड्रोन किल सिस्टम एक हार्ड किल एंटी-ड्रोन सिस्टम है जो इस तरह विकसित किया जा रहा है कि हर तरह के क्षेत्र में और दिन तथा रात दोनों समय काम कर सके।
इन्फैंट्री ट्रेनिंग वेपन सिम्युलेटर (आईडब्लूटीएस)
मेक-2 के तहत 125 सेट आईडब्लूटीएस खरीदी के लिए प्रोटोटाइप विकसित करने के 4 पीएसओ जारी किए गए हैं। बयान के मुताबिक आईडब्लूटीएस पहला ट्राइ-सर्विस मेक-2 प्रोजेक्ट है। प्रॉजेक्ट एमएसएमईज/स्टार्ट अप्स के लिए रिजर्व है। आईडब्लूटीएस का उपयोग इस्तेमाल में लाए जाने वाले अलग-अलग हथियारों से निशाना लगाने की युवा सैनिकों की क्षमता बढ़ाने में किया जाने वाला है। इसके लिए उन्हें युद्ध परिदृश्य के यूजर फ्रेंडली ग्राफिक्स भी मुहैया कराए जाएंगे। आईडब्लूटीएस ट्रेनिंग का एक मॉडर्न टूल है जो जिंदा कारतूसों पर आने वाले खर्च को काफी कम कर देता है। साथ ही फायरिंग रेंज की कम उपलब्धता और प्रतिकूल मौसम जैसी चुनौतियों से भी बचा देता है। बयान के मुताबिक प्रत्येक आईडब्लूटीएस से एक साथ दस कर्मियों की ट्रेनिंग हो सकती है।
155 एमएण टर्मिनली गाइडेड म्युनिशन (टीजीएम)
मेक-2 स्कीम के तहत 155 एमएम टर्मिनली गाइडेड म्युनिशन (टीजीएम) विकसित करने के लिए 6 डेवलपिंग एजेंसीज को पीएसओ जारी किए गए हैं। बयान के मुताबिक अचूकता और मारकता के साथ ही कम से कम कोलैटरल डैमेज के आश्वासन को देखते हुए हाई-वैल्यू टारगेट्स के मद्देनजर 2000 राउंड 155 एमएम टीजीएम खरीदने की सेना की योजना है।
मीडियम रेंज प्रिसीशन किल सिस्टम (एमआरपीकेएस)
बयान के अनुसार, ‘डीएपी 2020 की मेक-2 कैटिगरी के तहत एमआरपीकेएस का प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए 15 डेवलपिंग एजेंसीज को पीएसओ जारी किए गए हैं। प्रोटोटाइप के सफल विकास के बाद भारतीय सेना एमआरपीकेएस के 10 सेट खरीदेगी।’ एक बार लॉन्च हो जाए तो मीडियम रेंज प्रिसीशन किल सिस्टम (एमआरपीकेएस) दो घंटे तक हवा में उड़ते हुए 40 किलोमीटर तक रियल-टाइम हाइ-वैल्यू टारगेट का ख्याल रख सकता है। बयान में कहा गया है कि आने वाले समय में हम म्युनिशन टेक्नॉलजी के मामले में अपने देश को आत्मनिर्भर होते देखते हैं।
बयान में बताया गया है कि भारतीय सेना मेक-2 के तहत पूंजी अधिग्रहण के 43 प्रोजेक्ट्स पहले से ही आगे बढ़ा रही है। इन 43 में से 17 प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो इंडस्ट्री की तरफ से अपनी प्रेरणा से आए प्रस्तावों के जरिए शुरू किए गए हैं जिससे ‘मेक प्रक्रिया’ में भागीदारी को लेकर भारतीय रक्षा उद्योग में आत्मविश्वास और उत्साह पैदा हुआ है।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि मेक-2 खरीद योजना ने विभिन्न हथियारों, गोला-बारूद और आधुनिक ट्रेनिंग सिस्टम में ऐसे हाइ-एंड टेक्नॉलजी सिस्टम को डिजाइन और डेवलप करने के प्रयासों को बल दिया है जो अभी देश में उपलब्ध नहीं हैं।
मंत्रालय के मुताबिक मेक-2 प्रोजेक्ट में तेजी लाने के प्रयासों का ही परिणाम है कि 43 मेक-2 प्रोजेक्ट में से 22 अब प्रोटोटाइप डेवलपमेंट स्टेज में हैं जो प्रोजेक्ट का 66 फीसदी (खर्च के हिसाब से 27000 करोड़ रु. में से 18000 करोड़ रुपये) है।’
टीम भारतशक्ति