युद्ध विराम के बावजूद पाकिस्तान की ओर से जम्मू कश्मीर में आतंकवादी भेजने की कोशिशें जारी रहने की वजह से पश्चिमी सीमा पर घुसपैठ की घटनाओं में तेज इजाफा देखने को मिल रहा है। पिछले चार दिनों में सीमा पार से घुसपैठ की तीन कोशिशें हुई हैं जिनमें 25 अगस्त को उरी में हुई घुसपैठ शामिल है। सुरक्षा बलों ने उरी सेक्टर के कमलकोट इलाके में घुसपैठ की कोशिश करते तीन आतंकवादियों को मार गिराया। इन पाकिस्तानी आतंकवादियों के पास से दो एके सीरीज की राइफलें और एक चीनी एम-16 असॉल्ट राइफल बरामद की गईं।
इस साल एक जनवरी से घुसपैठ के 9 प्रयासों में 14 आतंकवादी मारे गए हैं जबकि छह प्रयास नाकाम किए जा चुके हैं। लेकिन मौजूदा मामले की खास बात, जो सुरक्षा बलों को सबसे ज्यादा चिंतित किए हुए है, वह है चीन में बने हथियारों का बरामद होना। हालांकि अभी से इस बारे में कोई निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं होगा कि यह चीनी सेना, पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों के बीच सांठगांठ का संकेत है या नहीं। आर्मी की 19 इन्फैंट्री डिविजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल अजय चांदपुरी ने उत्तरी कश्मीर के बारामुला में ऑपरेशन के बाद कहा, ‘इससे जुड़े व्यापक पहलुओं पर अटकलें लगाना अभी जल्दबाजी होगा। मुझे लगता है अभी हमें और जांच करने, ज्यादा बारीकी से देखने की जरूरत है।’
निश्चित खुफिया सूचनाएं मिलने के बाद इलेक्ट्रॉनिक गैजट के सहारे निगरानी रखते हुए इन घुसपैठियों को पकड़ा गया। इस क्षेत्र में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ सेना की कार्रवाइयों में हवाई और भूमि आधारित सेंसर तथा अंधेरे में देखने वाले उपकरण जैसे नई जेनरेशन के इलेक्ट्रॉनिक निगरानी उपकरणों और खुफिया सूचनाओं पर आधारित अभियानों की मुख्य भूमिका बनी रहने वाली है। सेना के मुताबिक उच्च तकनीक वाले उपकरणों के इस्तेमाल से सीमा पार से होने वाली घुसपैठ में काफी कमी आई है।
चांदपुरी ने कहा, ‘अत्याधुनिक तकनीक, रात में देखने वाले यंत्र, एकीकृत निगरानी, एंटी इन्फिल्ट्रेशन ऑब्सटैकल्स सिस्टम (एआईओएस) के सतर्क इस्तेमाल और बीएसफ तथा भारतीय सेना की मजबूत तैनाती की बदौलत एलओसी के रास्ते घुसपैठ वास्तव में काफी कम हुई है।’
भारतीय सेना ने एक रोंगटे खड़े कर देने वाला विडियो जारी किया है कि हाइ-टेक गैजट्स के जरिए कैसे घुसपैठ के प्रयासों को नाकाम किया जा रहा है।
मगर तीन आतंकवादियों के मारे जाने की घटना को अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए, जीओसी ने कहा, ‘हाल के दिनों में अखनूर जिले के पल्लनवाला, राजौरी जिले के नौशेरा औऱ कुपवाड़ा जिले के तंगधार तथा गुरेज इलाकों में मिलती-जुलती घटनाएं हुईं। राजौरी में तो एक आतंकवादी को जीवित पकड़ा गया। उरी में जो हुआ वह अपने आप में कोई अकेली घटना नहीं है।’
उन्होंने बताया, ‘अलग-अलग एजेंसियों से मिलीं विश्वसनीय सूचनाओं के मुताबिक पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर के पास स्थित 20 ठिकानों पर 120-140 आतंकवादी घुसपैठ के मौके का इंतजार कर रहे हैं।’ इस तरह बकौल चांदपुरी, यह बिलकुल स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले में पाकिस्तान के व्यवहार और इरादों में कोई अंतर नहीं आय़ा है।
उन्होंने कहा कि युद्धविराम समझौते के बावजूद इस क्षेत्र में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के प्रयास जारी हैं। मेजर जनरल ने कहा, ‘पाकिस्तान हताश है और बौखलाया हुआ है। घुसपैठ रोकने की जबर्दस्त व्यवस्था के बावजूद वह आतंकवादियों की घुसपैठ कराने और हथियार तथा गोला-बारूद पहुंचाने की कोशिश जारी रखेगा।’ उन्होंने आगे कहा कि उरी ऑपरेशन में आतंकवादियों का जिस तरह से सफाया हुआ वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सैनिकों की तैयारी का लेवल बताता है।
टीम भारतशक्ति