महीनों से जारी सस्पेंस खत्म करते हुए सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और नैशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल सेक्रेटेरियट (एनएससीएस) के सैन्य सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) देश के नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) होंगे। पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के पिछले साल दिसंबर में हुए असामयिक निधन के बाद से ही यह सवाल बना हुआ था कि उनकी जगह किसे यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान जो अब एक फोर स्टार जनरल और तीनों सेनाध्यक्षों के सीनियर होंगे, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के सचिव के तौर पर भी काम करेंगे। वह मई 2021 में सेना से रिटायर होने के बाद से एनएससीएस के सैन्य सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे और चीनी मामलों के जाने माने विशेषज्ञ रहे हैं। पिछले दिनों जब चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव काफी बढ़ गया था, वह ईस्टर्न कमांड के कमांडर थे।
चौहान की यह नियुक्ति सीडीएस के चयन के लिए उपलब्ध ऑफिसरों के पूल को बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा जून में सेना, वायु सेना और नौसेना के नियमों में किए गए संशोधन के चार महीने बाद हुई है। इस संशोधन के जरिए रिटायर्ड थ्री स्टार ऑफिसरों को भी सर्वोच्च पद की पात्रता रखने वालों में शामिल किया गया था। नए सीडीएस को न केवल जनरल बिपिन रावत के सशस्त्र सेनाओं के एकीकरण से जुड़े अधूरे कार्यों को पूरा करना होगा बल्कि थिएटर कमांड और अन्य सुधारों के जरिए एक समेकित वॉर मशीनरी तैयार करने की प्रक्रिया की भी अगुआई करनी होगी।
नवनियुक्त सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने पिछले सप्ताह एनएससीएस के सैन्य सलाहकार की हैसियत से भारतशक्ति डॉट इन (Bharatsgakti.in) के सालाना सम्मेलन इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव 2022 को संबोधित किया था। Bharatsgakti.in के संस्थापक और एडिटर इन चीफ नितिन गोखले द्वारा 20 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और सहयोगी नजरिया’ विषय पर अपने विचार रखे थे।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की अहमियत बताते हुए नवनियुक्त सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत की सामरिक स्वायत्तता तभी कायम हो सकती है जब हम विदेशों पर निर्भरता कम करें।
उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्र राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर अमल करने का सवाल काफी हद तक आत्मनिर्भरता की अवधारणा पर निर्भर करता है।’
राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के तीन पहलुओं- भूक्षेत्र, लोग और राज्य की मूल विचारधारा तथा उसके केंद्रीय मूल्य- में से लोगों के कल्याण ने प्रमुखता हासिल कर ली है।’
नैशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल सेक्रेटेरियट (एनएससीएस) के सैन्य सलाहकार की अपनी पूर्व भूमिका में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास औऱ लड़ाई के नए-नए रूपों के उसके नतीजों पर पड़ते प्रभावों के कारण ऐसी नई चुनौतियां उभर रही हैं जो सहयोगात्मक नजरिए की जरूरत को रेखांकित करती हैं, चाहे मामला देश के अंदर का हो या समान विचार वाले देशों के बीच का।
18 मई 1961 को जनमे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान 1981 में भारतीय सेना के 11 गोरखा राइफल्स (वही रेजिमेंट जिसमें जनरल रावत थे) में शामिल हुए। मेजर जनरल रैंक में उन्होंने नॉर्दर्न कमांड के संवेदनशील बारामुला सेक्टर में इन्फैंट्री डिविजन की कमान संभाली। बाद में बतौर लेफ्टिनेंट जनरल, उन्होंने उत्तर पूर्व में कोर की कमान संभाली और फिर सितंबर 2019 में पूर्वी कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने। मई 2021 में रिटायर होने तक वह इस पद पर बने रहे। इन कमांड नियुक्तियों के अतिरिक्त उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (कॉस्ट्स) जैसी कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं स्टाफ अपॉइंटमेंट्स के तहत भी निभाईं।
सीडीएस के रूप में वह चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी (सीओएससी) के परमानेंट चेयरमैन और रक्षा मंत्री के सिंगल-पॉइंट मिलिट्री अडवाइजर होंगे।
रवि शंकर