भारतशक्ति डॉट इन (Bharatshakti.in) का सालाना कार्यक्रम इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव आईडीसी) नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में 21 सितंबर 2022 को आय़ोजित हुआ। पहले फॉरेन डिफेंस ऑफिसर्स कॉन्क्लेव के नाम से जाने जाने वाले आईडीसी में तीनों सेना प्रमुख, एनएससीएस के सैन्य सलाहकार, बाबा कल्याणी और जे डी पाटिल जैसे इंडस्ट्री के दिग्गज, 70 से ज्यादा डिफेंस अटैशे, एंबैसी स्टाफ और बड़ी संख्या में वरिष्ठ मिलिट्री और इंडस्ट्री प्रफेशनल्स मौजूद रहे।
मालदीव की रक्षा मंत्री मारिया दीदी ने कार्यक्रम के लिए भेजे अपने रेकॉर्डेड भाषण में न केवल हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) का सटीक आकलन पेश किया बल्कि क्षेत्र के छोटे देशों की आकांक्षाओं और बड़ी शक्तियों से उनकी अपेक्षाओं का समर्थन भी किया।
सुश्री दीदी ने इस तथ्य की ओर ध्यान खींचा कि हिंद महासागर क्षेत्र सबसे बड़ा अनियंत्रित समुद्री क्षेत्र है। इसकी वजह से इस क्षेत्र में अवांछित तत्व भी सक्रिय हैं जो पहचान में नहीं आते। कोई भी देश अकेला इस क्षेत्र में अपने सुरक्षा हितों की रक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता। स्थायी शांति के लिए जरूरी है कि तमाम देश आपसी सहयोग से साझा खतरों का मुकाबला करें।
हिंद महासागर क्षेत्र भू राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का नया वैश्विक ठिकाना बनने वाला है। वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा इस क्षेत्र के देशों के विकास दोनों के लिए इसकी अहमियत और इसके व्यापक विस्तार के कारण आवश्यक है कि यहां की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न देश सहयोग करें।
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बकौल दीदी, ‘हिंद महासागर क्षेत्र वैश्विक भू राजनीति का केंद्र होगा।’ कोई भी देश अकेला इस इलाके में अपना दबदबा कायम नहीं कर सकता। दीदी यह भी महसूस करती हैं कि एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में भारत खास भूमिका अदा कर सकता है।
आईओआर कम्युनिटी की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना भी है कि हिंद महासागर एक नियम आधारित औऱ झड़पों से मुक्त क्षेत्र हो।
सुश्री दीदी ने यह सवाल उठाया कि आपसी होड़ के माहौल में सहयोग कैसे कायम किया जाए। उन्हें लगता है, रक्षा सहयोग नौकरशाही के बीच अटकी रहने वाली चीज नहीं है। इसे ऐसा व्यवहारोन्मुख होना चाहिए जिसे तत्काल अमल में लाया जा सके और परिणामों की कसौटी पर परखा जा सके। बड़े देशों को अपना रुख छोटे देशों की विशेष जरूरतों के अनुकूल बनाए रखना होगा। बल्कि, सबसे अच्छा यही होगा कि बड़े देश अपने रुख और विमर्श को छोटे साझेदारों के विचारों के लिहाज से प्रासंगिक बनाए रखें। सुश्री दीदी ने याद दिलाया कि कैसे कोविड महामारी के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सागर इनिशिएटिव के तहत अपने पड़ोसी देशों को वैक्सीन मुहैया कराने का फैसला किया था।
सुश्री दीदी ने यह भी बताया कि छोटे देशों की कई सामरिक प्राथमिकताएं गैर पारंपरिक सुरक्षा संबंधों में जाहिर होती हैं। इस लिहाज से अगर बड़े देश यह समझ बनाकर चलें कि सैन्य शक्ति की बदौलत उनकी बातें मानी जाती रहेंगी तो यह कोई समझदारी भरा रवैया नहीं कहलाएगा।
छोटे देशों की अपनी बहुत सारी प्राथमिकताएं होती हैं। मिसाल के तौर पर आर्थिक समृद्धि, अपने लोगों का कल्याण और उनकी सुरक्षा, सामाजिक सद्भाव और राजनीतिक आकांक्षा। सहयोग केवल सुरक्षा के इकलौते पहलू तक सीमित नहीं रखा जा सकता।
सुश्री दीदी ने कहा, मालदीव और भारत के बीच ‘अनूठा रिश्ता’ है। दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा साझेदारी समय की कसौटी पर परखी जा चुकी है। क्षेत्रीय सहयोग का यह एक बेहतरीन उदाहरण है। यह रिश्ता आपसी विश्वास पर आधारित है। यह हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में मददगार है।
सुश्री दीदी ने कहा कि विश्वास और सूचनाओं का प्रवाह किसी भी रिश्ते का जरूरी हिस्सा होता है। यह आवश्यक है कि महत्वपूर्ण और प्रासंगिक सूचनाओं को साझा किया जाए। आखिर में उन्होंने रिश्तों की मजबूती के मसले को सबसे ऊपर रखते हुए कहा, ‘एकजुटता से हमेशा मजबूती आती है।’
ब्रिगेडियर एस के चटर्जी (रिटायर्ड)