एविएशन सेक्टर की दिग्गज कंपनी बोइंग ने भारतीय नौसेना को अपना एफ/ए-18 जेट बेचने की पेशकश की है और यह भी कहा है कि जेट के चयन से देश की डिफेंस इंडस्ट्री में ‘आत्मनिर्भरता’ और ‘मेक इन इंडिया’ की सरकार की पॉलिसी के अनुरूप निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बोइंग इंडिया के प्रेसिडेंट सलिल गुप्ते ने बुधवार को राजधानी में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा, ‘बोइंग की समझ है कि अगर एफ/ए-18 सुपर हॉरनेट को भारत के नए कैरियर बेस्ड फाइटर के रूप में चुना जाता है तो अगले दस वर्षों में भारत की डिफेंस और एयरो स्पेस इंडस्ट्री में 3.6 अरब डॉलर तक का निवेश हो सकता है।’
बोइंग की योजना है कि जेनरल इलेक्ट्रिक (जेट इंजन निर्माता), नॉरथ्रॉप ग्रमन (लॉजिस्टिक्स-मेनटेनेंस प्रोवाइडर) और रेथियन (रडार सिस्टम निर्माता) जैसी अमेरिकी कंपनियों से मिलकर बनी हॉरनेट इंडस्ट्री टीम (एचआईटी) के योगदान से भारत में मौजूदा निवेश को बढ़ाया जाए। इन कंपनियों का दावा है कि वे भारत की मांग के मुताबिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
भारतीय विमानवाहक पोतों में जेट की जरूरत बताते हुए बोइंग डिफेंस- बॉम्बर्स एंड फाइटर्स के वाइस प्रेसिडेंट स्टीव पार्कर ने कहा, ‘एफ/–8-18 सुपर हॉरनेट दुनिया में अपनी तरह का बेहतरीन प्रॉडक्ट है और यह भारत के लिए गेमचेंजर साबित होगा। भारतीय नौसेना के लिए जिस ब्लॉक 3 सुपर हॉरनेट की पेशकश हमने की है, उसकी क्षमताएं सबसे विकसित और महत्वपूर्ण हैं। अपने ओपन आर्किटेक्चर डिजाइन और लगातार विकसित होते कैपेबिलिटी सूट की बदौलत सुपर हॉरनेट मौजूदा आशंकाओं को पीछे छोड़ देगा और विश्वसनीयता बढ़ाएगा। इसके साथ ही लागत के लिहाज से भी यह बेजोड़ है। इस निवेश का फायदा भारतीय नौसेना को दशकों तक मिलता रहेगा।’
अब जब अगले ही महीने के शुरू में भारतीय नैसेना को देश का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत- आईएनएस विक्रांत- मिलने वाला है, बोइंग का दावा है कि भारतीय विमानवाहकों के लिए जेट फाइटर आदर्श है। इसी जून में बोइंग ने गोवा में भारतीय नौसेना के सामने सुपर हॉरनेट का प्रदर्शन किया था। कंपनी को नौसेना से जेट का ऑर्डर मिलना अभी बाकी है।
भारतीय नौसेना जल्दी ही दो कंपनियों- फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन के राफेल एम और एफ/ए सुपर हॉरनेट – के प्रदर्शन की जांच रिपोर्ट तैयार करने में जुटी है। संभावना है कि नौसेना 26 नए फाइटर्स का प्रस्ताव साल के अंत तक सरकार को भेज देगी।
गुप्ते ने बताया कि सुपर हॉरनेट ब्लॉक 3 को विमानवाहक ऑपरेशंस के लिए ही बनाया गया है और यही वह फाइटर है जिस पर अमेरिकी नौसेना अपने ऑपरेशंस के लिए निर्भर करती है।
बोइंग डिफेंस के इंडिया बिजनेस डेवलपमेंट के वाइस प्रेसिडेंट एलैन गार्सिया ने बात पर और जोर देते हुए कहा कि विकसित और नई जेनरेशन क्षमताओं की बदौलत एफ/ए-18 ई/ एफ सुपर हॉरनेट ब्लॉक 3 भविष्य की उभरती हुई चुनौतियों से निपटने में भारतीय नौसेना की मदद करेगा। इतना ही नहीं, हमारे हॉरनेट इंडस्ट्री साझेदारों – जेनरल इलेक्ट्रिक, रेथियन और नॉरथ्रॉप ग्रमन के योगदान की बदौलत सुपर हॉरनेट भारतीय डिफेंस सेक्टर को फायदा पहुंचाते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा।
यह पूछे जाने पर कि समझौता हो जाने की स्थिति में बोइंग कब तक विमान भेज सकता है, पार्कर ने कहा कि भारतीय नौसेना की जरूरतों के मुताबिक इसे तीन साल के अंदर भेजा जा सकता है।
रविशंकर