आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अक्टूबर को गुजरात के वड़ोदरा में मिलिट्री ट्रांसपोर्ट विमान बनाने के प्लांट का शिलान्यास किया। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और एरोस्पेस की दिग्गज यूरोपीय कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एसए, स्पेन के कलैबरेशन में बनी यह देश की पहली प्राइवेट सेक्टर फैक्ट्री है जो भारतीय वायुसेना के लिए परिवहन विमान सी-295 बनाएगी।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भविष्य में ट्रांसपोर्ट और कमर्शल विमानों के बड़े निर्माता के रूप में उभरने वाला है जो न केवल अपनी घरेलू जरूरतें पूरी करेगा बल्कि ग्लोबल मार्केट का भी ख्याल रखेगा। उन्होंने कहा, ‘यहां बनने वाले विमान न केवल हमारी सेना को शक्ति देंगे बल्कि विमान बनाने का एक नया इकोसिस्टम भी विकसित करेंगे… जल्दी ही भारत ऐसे यात्री विमान देखेगा जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ के टैग के साथ बने होंगे।’ प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि यह मैन्युफैक्चरिंग प्लांट देश के रक्षा औऱ ट्रांसपोर्ट सेक्टर का कायाकल्प करने की ताकत रखता है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि यह पहला मौका है जब देश के डिफेंस सेक्टर में इतना बड़ा निवेश हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने दोहराया, ‘डिफेंस औऱ एरोस्पेस सेक्टर आने वाले वर्षों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाले दो प्रमुख स्तंभ होंगे। 2025 तक हमारा रक्षा उत्पादन ढाई हजार करोड़ डॉलर के पार चला जाएगा। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में स्थापित किए जा रहे डिफेंस कॉरिडोर भी इसमें योगदान करेंगे।’
यह अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है जिसमें भारत में कोई प्राइवेट कंपनी सैन्य विमान का निर्माण करने जा रही है। हालांकि ये विमान असैन्य कार्यों में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। वड़ोदरा के इस प्लांट में समझौते के अनुरूप 40 विमान तो बनाए ही जाएंगे, भारतीय वायुसेना की जरूरतों और निर्यात आवश्यकताओं के मद्देनजर अतिरिक्त विमानों का भी निर्माण किया जाएगा।
पिछले सितंबर में भारत ने एयरबस के साथ 21,935 करोड़ रुपये का 56 सी-295 विमान खरीदने का यह समझौता किया था। ये विमान 1960 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए एवरो-748 विमानों की जगह लेने वाले हैं। समझौते के मुताबिक एयरबस पहले 16 विमान स्पेन के सेविल प्लांट से उड़ान के लिए तैयार स्थिति में भेजेगी और बाकी के 40 विमान टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) दोनों कंपनियों के बीच हुई औद्योगिक साझेदारी के तहत भारत में बनाएगी। पहले 16 विमान एयरफोर्स को सितंबर 2023 से अगस्त 2025 के बीच मिलने वाले हैं जबकि भारत में बने विमानों की सप्लाई 2026 से 2031 तक होनी है।
इस प्रोजेक्ट से 600 हाई स्किल्ड जॉब प्रत्यक्ष रूप में और 3000 से ज्यादा जॉब अप्रत्यक्ष रूप में बनने की उम्मीद है। इसके अलावा डिफेंस और एरोस्पेस सेक्टर में 42.5 लाख घंटे से ज्यादा मानव श्रम के 3000 मीडियम स्किल वाले रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
सी-295 एमडब्लू समकालीन तकनीक वाला 5-10 टन क्षमता का ट्रांसपोर्ट विमान है। इसकी अधिकतम रफ्तार 480 किलोमीटर प्रति घंटे तक है। यह विमान स्पेशल मिशन को अंजाम दे सकता है, समुद्री क्षेत्र की निगरानी की ड्यूटी निभा सकता है और आपदा के दौरान भी उपयोगी साबित हो सकता है। यह पैराट्रुप्स को भी एयरड्रॉप सकता है।
टीम भारतशक्ति