पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत (आईएसी-1) इंडियन नैवल शिप आर 11 यानी आईएनएस विक्रांत आज भारतीय नौसेना को सौंपे जाने के साथ ही देश ने एक नया मील स्तंभ पार कर लिया।
कोच्चि स्थित कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड में हुए इस समारोह की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। इस मौके पर उन्होंने नौसेना के नए निशान का अनावरण भी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘आईएनएस विक्रांत ने आज देश को नए आत्मविश्वास से भर दिया है। यह देश की प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह देसी ताकत, अनुसंधान और कौशल का प्रतीक है।’ सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत पर महिला अफसर भी तैनात की जाएंगी। उन्होंने यह भी बताया कि नौसेना अब सभी शाखाओं में महिलाओं को प्रवेश दे रही है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘आईएनएस विक्रांत महज लड़ाई की मशीन नहीं, भारत के कौशल और प्रतिभा का सबूत है। यह विमानवाहक पोत आत्मनिर्भर भारत के हमारे मजबूत संकल्प का प्रमाण है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने एक औपनिवेशिक निशान को खत्म करते हुए भारतीय नौसेना का नया ध्वज छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित किया। इस नए ध्वज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘आज भारत ने अपने सीने से औपनिवेशिक अतीत का एक बोझ, गुलामी का एक चिह्न उतार फेंका है।’
आईएसी को भारतीय नौसेना के इन-हाउस डिजाइन ऑर्गनाइजेशन वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है जो पहले डायरेक्टोरेट ऑफ नैवल डिजाइन के नाम से जाना जाता था। इसका निर्माण किया है बंदरगाह, जहाजरानी और समुद्री परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पब्लिक सेक्टर शिपयार्ड कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) ने।
आईएसी-1 ने अपना नाम मोटो (घोष वाक्य) और पेनंट नंबर आर 11 भारत के पहले विमानवाहक पोत से लिया है जिसने 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी और जिसे 35 वर्षों की सेवा के बाद 1997 में सेवामुक्त किया गया। विक्रांत संस्कृत का शब्द है जिसका मतलब होता है साहसी।
स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण को सरकार की औपचारिक मंजूरी जनवरी 2003 में मिली थी। जहाज की पेंदी (कील) रखी गई फरवरी 2009 में और 13 अगस्त 2013 को इसे पानी में उतार दिया गया। नवंबर 2020 में इसका बेसिन ट्रायल हुआ और 4 अगस्त 2021 से इस साल 10 जुलाई तक समुद्री जांच हुई। 28 जुलाई को यह नौसेना के पास पहुंच गया।
इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आईएनएस विक्रांत आकांक्षाओं से भरे आत्मनिर्भर भारत का अनोखा प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ‘अमृतकाल’ की शुरुआत में ही आईएनएस विक्रांत का भारतीय नौसेना में शामिल होना अगले 25 वर्षों तक देश की सुरक्षा करने के हमारे मजबूत संकल्प को दर्शाता है।
समारोह में तीनों सेना प्रमुख, पूर्व नौसेना प्रमुख, कई मौजूदा तथा रिटायर्ड नौसेना अधिकारी, राजदूत, केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और केरल सरकार के शीर्षस्थ सदस्य सहित सिविल और सैन्य क्षेत्रों के गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।
रवि शंकर