आधुनिकीकरण प्रयासों के पीछे मूल मंत्र है आत्मनिर्भरताः सेना प्रमुख

0

देश के सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने आने वाले दिनों में सेना के विकास का खाका खींचते हुए बताया कि उसके आधुनिकीकरण से जुड़े प्रयासों के पीछे मूल मंत्र है आत्मनिर्भरता। वह 20 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव (आईडीसी) में बोल रहे थे।

आईडीसी के आयोजक भारतशक्ति डॉट इन (Bharatshakti.in) के संस्थापक तथा एडिटर इन चीफ नितिन ए गोखले से बातचीत करते हुए आर्मी चीफ ने बताया कि भारतीय सेना मानवशक्ति आधारित सेना से आधुनिक और तकनीक आधारित सेना में तब्दील हो रही है। इसे ज्यादा आत्मनिर्भर और कुशल लड़ाकू फोर्स का रूप दिया जा रहा है ताकि देश भविष्य में संघर्ष के विभिन्न आयामों से उभरती चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो।

www.youtube.com/watch?v=zDE1FsitJv4

आधुनिकीकरण योजनाओं के प्रमुख पक्षों पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले तो हम हथियारों की मारक क्षमता को देख रहे हैं। अगर टैंक को लें तो इसके हमलों में और ज्यादा सटीकता कैसे लाई जा सकती है, इसके रेंज और वॉल्यूम ऑफ फायर में किस तरह के बदलाव किए जा सकते हैं। दूसरे नंबर पर टैंक फ्लीट के प्रोटेक्शन, मॉबिलिटी और अपग्रेडेशन का सवाल है। हम अपने इनफैंट्री परसोनेल कैरियर फ्लीट की भी सोच रहे हैं। तीसरे नंबर पर है आईएसआर (इंटेलिजेंस, सर्वेलांस एंड रीकानिसंस) जहां ड्रोन्स और काउंटर ड्रोन टेक्नॉलजी पर फोकस है। चौथा है, हम अपने इन्फैंट्री सैनिक को कैसे सशक्त बनाएं। यहां हम एक इंटीग्रेटेड सिस्टम लाने की सोच रहे हैं, जिससे उसके पास बेहतर प्रोटेक्शन हो, बेहतर सिचुएशनल अवेयरनेस हो, स्क्वॉड या प्लाटून के हिस्से के रूप में संवाद की बेहतर क्षमता हो, उसके पास बेहतर व्यक्तिगत हथियार हों। इसके बाद दूसरी बातें हैं जैसे कम्यूनिकेशन फील्ड में सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो। इसके साथ ही एविएशन में हम लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स पर ध्यान दे रहे हैं। ज्यादा ताकतवर प्लैटफॉर्म्स और लाइटर म्यूनिशंस भी हमारा फोकस एरिया हैं।’

ऑपरेशनल प्रिपेयर्डनेस का ऊंचा स्तर हमेशा बनाए रखना

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुए गतिरोध से मिली सीखों का जिक्र करते हुए जनरल पांडे ने कहा, ऑपरेशनल प्रिपेयर्डनेस का ऊंचा स्तर बनाए रखने के साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, टेक्नॉलजी के इस्तेमाल, सैन्य टुकड़ियों के तेज मॉबिलाइजेशन और क्षमता में बढ़ोतरी पर लगातार ध्यान देने की जरूरत है।

‘अगर मैं एकाध बातों का जिक्र करूं तो सबसे पहले तो यह कहूंगा कि चाहे हालात जैसे भी हों, हमें ऑपरेशनल प्रिपेयर्डनेस का उच्चतर स्तर हमेशा बनाए रखना होगा। दूसरी बात है इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की अहमियत, खासकर हमारी उत्तरी सीमाओं पर। और जब मैं उत्तरी सीमा कह रहा हूं तो मेरा मतलब लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश के इलाकों से भी है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने यह भी महसूस किया कि नई टेक्नॉलजी का इस्तेमाल बढ़ाने की भरपूर गुंजाइश है और यह ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल हमें अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए करने की जरूरत है ताकि हम भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकें। इसके अलावा हमें अपनी ग्रे जोन कपैबिलिटी भी बढ़ानी होगी। ग्रे जोन में प्रभावी ढंग से ऑपरेट करने के लिए हमारे पास एक रणनीति होनी चाहिए और ग्रे जोन में आपको जो कुछ करना होता है उस लिहाज से हमें अपनी क्षमताएं बनानी होंगी। आखिरी चीज है सैन्य टुकड़ियों को मॉबिलाइज करने की हमारी क्षमता जो हमारे पहले पॉइंट से जुड़ती है जिसमें मैंने कहा था कि हमें ऑपरेशनल प्रिपेयर्डनेस का बहुत ही ऊंचा स्तर कायम रखने की जरूरत है।

‘ग्रे जोन’ क्षमता बढ़ाने की जरूरत

ग्रे जोन से जुड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए आर्मी चीफ ने बताया कि इस क्षेत्र में कपैबिलिटी बिल्डिंग के लिए सेना उपयुक्त टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है। इस संदर्भ में उन्होंने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पर आधारित तीन-चार प्रोजेक्ट का जिक्र किया जिन पर अभी विचार चल रहा है। उदाहरण के लिए सैटलाइट तस्वीरों की व्याख्या और निगरानी से जुड़े तमाम इनपुट्स का एकत्रीकरण जैसे प्रोजेक्ट। ग्रे जोन संघर्ष में युद्ध और शांति के बीच की स्थितियों का इस्तेमाल करते हुए यथास्थिति को बदलने या विरोधियों को दबाने की कोशिश की जाती है। चीन ने सलामी-स्लाइसिंग और ऐसे ही अन्य टैक्टिक्स के सहारे इस कला में महारत हासिल कर रखी है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर

जनरल पांडे ने यह भी बताया कि मई 2020 के बाद से खासकर पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। अन्य चीजों के अलावा सेना करीब 35000 सैनिकों के लिए आवास बनाने में सफल रही और 450 टैंकों तथा 150 तोपखानों के लिए कवर्ड गैरेज भी बना लिया जो उनके मुताबिक, दो साल की छोटी सी अवधि में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर उन्होंने आगे कहा, ‘अपनी रक्षा करने और गोलीबारी से अपने ऐसेट्स को बचाने के लिए हमने अंडरग्राउंड स्टोरेज बनवाया ताकि हमारे हथियार और अन्य लॉजिस्टिक्स सुरक्षित रहें।’ उन्होंने माना कि पूर्वी क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। इस संदर्भ में उन्होंने फॉरवर्ड कनेक्टिविटी और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी तक पहुंचने के लिए घाटियों को जोड़ने वाले भारी वाहनों के गुजरने लायक पुलों का निर्माण, सड़कों के चौड़ीकरण जैसे मसलों का जिक्र किया। उन्होंने एविएशन इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार की भी बात कही और बताया कि स्ट्रैटेजिक और टैक्टिकल एयरलिफ्ट के लिए अग्रिम इलाकों में हेलिपैड बनाए जा रहे हैं।

एलएसी पर सेनाओं के पीछे हटने के सवाल पर जनरल पांडे ने कहा कि पीपी 15 और गोगरा हॉट स्प्रिंग समेत पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में सेनाओं के पीछे हटने के मसले पर इस महीने कुछ प्रगति जरूर हुई है, लेकिन दो और विवादित स्थल बाकी हैं जहां सैन्य और कूटनीतिक बातचीत से विवाद सुलझाया जाना है ताकि तनाव में कमी आए।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमने उन विवादित जगहों से सेनाएं पीछे हटाने के मामले में प्रगति की है जिनका आपने अभी-अभी जिक्र किया, लेकिन दो और जगहें ऐसी हैं जहां हमें आगे बढ़ने की जरूरत है। और चूंकि हम सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर बातचीत आगे बढ़ा रहे हैं, मुझे पूरा यकीन है कि हम इन दोनों पॉइंट्स पर भी कोई रास्ता निकाल लेंगे। हमारा तात्कालिक मकसद इन दोनों विवादित पॉइंट्स पर भी सेनाओं को पीछे हटाना है, ताकि उसके बाद अगले कदम यानी तनाव घटाने पर ध्यान केंद्रित कर सकें।’
अभी नजरें सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण डेपसांग और डेमचोक पर जारी गतिरोध पर टिकी हैं। तनाव कम करने के लिए चीन और भारत दोनों को पूर्वी लद्दाख में तैनात 60,000 सैनिक वापस बुलाने होंगे।

इस पूरे इंटरव्यू का ट्रांस्क्रिप्ट देखने के लिए इस लिंक पर जाएं:

https://stratnewsglobal.com/india/need-to-develop-grey-zone-capabilities-army-chief/

रवि शंकर


Spread the love
Previous articleहिंद महासागर क्षेत्र वैश्विक होड़ का नया ठिकाना बनेगाः मारिया दीदी
Next articleजागतिक स्पर्धेसाठी हिंद महासागर क्षेत्र नवे गंतव्यस्थान बनेल : मालदीवच्या संरक्षणमंत्र्यांचे प्रतिपादन
Ravi Shankar
Dr Ravi Shankar has over two decades of experience in communications, print journalism, electronic media, documentary film making and new media. He makes regular appearances on national television news channels as a commentator and analyst on current and political affairs. Apart from being an acknowledged Journalist, he has been a passionate newsroom manager bringing a wide range of journalistic experience from past associations with India’s leading media conglomerates (Times of India group and India Today group) and had led global news-gathering operations at world’s biggest multimedia news agency- ANI-Reuters. He has covered Parliament extensively over the past several years. Widely traveled, he has covered several summits as part of media delegation accompanying the Indian President, Vice President, Prime Minister, External Affairs Minister and Finance Minister across Asia, Africa and Europe.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here